सुहागिनों के अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक है वट सावित्री व्रत
अपने सुहाग की रक्षा हेतु पति के दीर्घायु की कामना को लेकर सुहागिनें सत्यवान सावित्री के साथ ही यमराज की करती है पूजा सीतापुर। वट सावित्री की पूजा मंगलवार को जिलेभर में धूमधाम से मनाई गई। सुहागिनों ने वृत रखते हुए वट वृक्ष की परंपरागत तौर तरीके से पूजा अर्चना करते हुए अपने सुहाग की सलामती की कामना की। महर्षि दधीचि की पावन तपोभूमि कस्बा मिश्रित में आज ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत की पूजा सुहागिनों द्वारा बड़ी ही धूमधाम से की गई। वट सावित्री वृत सुहागिनों का महापर्व माना जाता है इसदिन सभी सुहागिनें निर्जला व्रत रखकर वट वृक्ष के नीचे सत्यवान सावित्री के साथ ही यमराज की प्रतिमा को स्थापित कर विधि विधान से पूजा करते हुए अपने सुहाग की रक्षा करने हेतु पति के दीर्घायु की कामना करती हैं। मान्यता है सावित्री ने अपने मन अनुकूल सत्यवान के साथ वर का चयन किया था परन्तु बारह वर्ष की आयु पर सत्यवान की मृत्व निश्चित थी जिससे सावित्री के पिता ने दूसरा वर चयन करने की सलाह दी परन्तु सावित्री ने कहा मै आर्य कन्या हूं इस नाते सत्यवान के अलावा किसी अन्य वर का वरण नहीं कर सकती हूं सावित्री