असिस्टेंट प्रोफेसर नील मल्होत्रा की अगुवाई वाली टीम ने यह सर्जरी की. पर्निकॉफ की सर्जरी तीन चरणों में हुई. पहले चरण की सफलता के बाद सर्जिकल रोबोट के इस्तेमाल के जरिये डॉक्टरों की टीम ने उसके गर्दन से मुंह तक के हिस्से को साफ किया

First robotic surgery conducted successfully in the leadership of an Indian origin doctor

भारतीय मूल के एक सर्जन की अगुवाई में विश्व में रोबोट के जरिये पहली सर्जरी की गयी. इसमें एक मरीज की गर्दन से ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया. कॉर्डोमा कैंसर का एक बेहद जटिल स्वरूप है जो खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी में होता है. कॉर्डोमा का ट्यूमर बहुत धीरे-धीरे गंभीर रूप अख्तियार करता है और कई सालों तक इसका कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता.

अमेरिका के 27 साल के नोआ पर्निकॉफ 2016 में एक कार हादसे में जख्मी हो गए थे. मामूली चोट से उबरने के बाद उनके गर्दन में काफी दर्द होने लगा था. इसके बाद एक्स-रे कराया गया, जिसमें उसकी गर्दन में चोट का पता चला. ये जख्म दुर्घटना से जुड़े नहीं थे और उन्हें लगी चोट की तुलना में बहुत अधिक चिंता पैदा करने वाले थे. इसके बाद उस जगह की बॉयोप्सी की गयी. इसमें उनके कॉर्डोमा से पीड़ित होने की बात निकलकर सामने आई.पर्निकॉफ ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुशनसीब हूं कि उन्होंने बहुत पहले इसका पता लगा लिया. बहुत से लोगों में इसका पता जल्द नहीं लग पाता है और इस कारण जल्द इलाज भी मुमकिन नहीं हो पाता है.’’ कॉर्डोमा के इलाज के लिए सर्जरी सबसे सही विकल्प होती है लेकिन पर्निकॉफ के मामले में यह बहुत मुश्किल था. ऐसे में उनके पास प्रोटोन थेरिपी का दूसरा विकल्प सामने थाजैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि कॉर्डोमा काफी दुर्लभ बीमारी है, इससे हर साल 10 लाख लोगों में कोई एक ही प्रभावित होता है. पर्निकॉफ के मामले में कॉर्डोमा सी- 2 कशेरुका में था. यह और भी दुर्लभ है और इसका इलाज बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. अमेरिका के पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल में पिछले साल अगस्त में पर्निकॉफ की रोबोट के जरिये सर्जरी हुई. रोबोट का इस्तेमाल तीन चरणों में की गयी सर्जरी के दूसरे हिस्से में किया गया.


असिस्टेंट प्रोफेसर नील मल्होत्रा की अगुवाई वाली टीम ने यह सर्जरी की. पर्निकॉफ की सर्जरी तीन चरणों में हुई. पहले दौर में न्यूरोसर्जन ने मरीज के गर्दन के पिछले हिस्से में ट्यूमर के पास रीढ़ की हड्डी को काट दिया ताकि दूसरे चरण में ट्यूमर को मुंह से निकाला जा सके.

पहले चरण की सफलता के बाद सर्जिकल रोबोट के इस्तेमाल के जरिये डॉक्टरों की टीम ने उसके गर्दन से मुंह तक के हिस्से को साफ किया ताकि मल्होत्रा ट्यूमर और रीढ़ की हड्डी के हिस्से को निकाल सकें. अंतिम चरण में टीम ने पर्निकॉफ की रीढ़ की हड्डी को उसके पहले की जगह पर फिट कर दिया गया. सर्जरी के नौ महीने बाद पर्निकॉफ काम पर लौट चुके हैं.



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