युद्धविराम की मांग को खारिज करने की सलाह देगा सुरक्षा महकमा
रमजान के महीने में आतंक के खिलाफ ऑपरेशन रोकने के जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की मांग के विरोध में सुरक्षा एजेंसियां भी है. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसे किसी फैसले के खिलाफ सलाह दे सकते हैं. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि युद्धविराम का एलान आतंकियों के खिलाफ चल रहे ‘ऑपेरशन ऑल ऑउट’ से आतंकी गुटों पर बने दबाब को कम कर देगा. इसके बाद आतंकी बढ़ी ताकत से हमले को अंजाम देंगे.
खुफिया और सुरक्षा महकमें के बड़े अधिकारी कश्मीर में चल रहे ऑपेरशन की रणनीति बनाने लगे हुए हैं. सुरक्षा एजेंसियां ने सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम महबूबा मुफ्ती के रमजान के महीने और अमरनाथ यात्रा के दौरान केंद्र से एकतरफा युद्धविराम की मांग का विरोध किया है. जल्द ही एनएसए अजीत डोभाल के जरिए सुरक्षा महकमा पीएम मोदी को ऐसे लोकलुभावन कदमों से बचने की सलाह देगा.
राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को नहीं मिला कोई प्रस्ताव- गृह मंत्रालय
एक बड़े खुफिया अफसर ने कहा, ‘’एकतरफा युद्धविराम मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की खोई ज़मीन के लिए पाने के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन ऐसा कोई भी सुरक्षा नीति के लिहाज से ग़लत होगा. क्या महबूबा मुफ्ती के राजनीति के लिए ऑपेरशन ऑल आउट की सफलता को यूं ही बर्बाद होने की इजाज़त दी जा सकती है." हालांकि गृह मंत्रालय के मुताबिक ऐसा कोई प्रस्ताव फिलहाल राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को नहीं मिला है. ऐसे किसी प्रस्ताव पर फैसला लेने से पहले सरकार उसके सभी पहलुओं का अध्ययन करेगी.
19 मई को कश्मीर दौरे पर पीएम मोदी
सूत्रों के मुताबिक़, प्रस्ताव मिलने के बाद रिपोर्ट पीएमओ को भेजी जाएगी. इस मसले पर जल्द ही सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हो सकती है. वहीं गृहसचिव राजीव गौबा ने भी ऐसे किसी प्रस्ताव की जानकारी से इनकार किया है. दूसरी तरफ सुरक्षा महकमें के बड़े अफसर ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 19 मई को होने वाले कश्मीर दौरे तक युद्धविराम की मांग पर सरकार किसी भी तरह के फैसले का एलान नहीं करेगी.
प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए कश्मीर जा रहे हैं पीएम मोदी
दरअसल पीएम मोदी किशन गंगा पावर प्रोजेक्ट के उद्घाटन करने के अलावा दूसरे प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए 19 मई को जम्मू कश्मीर के तीनों क्षेत्रों का दौरा करेंगें. ऑपेरशन ऑल आउट से आतंकी ज़बरदस्त दवाब में हैं और उनके बड़े A++ रेटिंग के आठ कमांडर के मारे जाने से के बाद A++ के सिर्फ छह बड़े आतंकी कमांडर बचे हैं, जिनके खात्मे के लिए सुरक्षा बल उनके पीछे लगें हैं और ज़ल्द ही खुफिया इनपुट पर निर्णायक कार्रवाई होगी. युद्धविराम की घोषणा होने से आतंकी गुटों को संगठित होने का मौका मिलेगा और इसका फायदा उठा आतंकी नई ताक़त से सुरक्षा बलों और सरकारी ठीकानों पर हमले कर सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर में तैनात होंगे ब्लैक कैट कमांडो
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक़, पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ने जैश के आतंकियों को इस दौरान बड़े फ़िदायीन हमले को अंजाम देने महत्वपूर्ण ठीकानों पर सरकारी कर्मचारियों और पर्यटकों को बंधक बनाने को कहा है. जैश और दूसरे गुटों के इस खतरे से निपटने और सुरक्षा बलों के ऑपेरशन में मदद के लिए 18 साल में पहली बार एनएसजी यानि ब्लैक कैट कमांडो तैनात करने का फैसला किया है.
सुरक्षा बलों के खिलाफ अलगावादियों और पत्थरबाज़ों की साजिश
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, अलगावादियों और पत्थरबाज़ों की साजिश है कि वो सुरक्षा बलों के मूवमेंट के दौरान उनपर पत्थरबाज़ी कर उकसाने का काम करंगे, जिससे जवाबी कार्रवाई करें सुरक्षा बल लेकिन युद्धविराम से सुरक्षा बलों के हाथ बंध जाएंगे और उनके मनोबल पर असर पड़ेगा. गृहमंत्रालय के अधिकारी ने उल्टा सवाल किया कि सुरक्षा बल अगर युद्धविराम के दौरान ऑपेरशन को सस्पेंड कर भी देते हैं तो क्या मुख्यमंत्री इस बात की गारन्टी देंगी कि इस दौरान आतंकी हमले नहीं करेंगे. अलगावादी और पत्थरबाज भी युद्घविराम का पालन करेंगे? अगर नहीं तो युद्घविराम जैसा कोई भी ऐलान सुरक्षा बलों की कार्रवाई को कमज़ोर करेगा.
युद्धविराम की मांग को खारिज करने की सलाह देगा सुरक्षा महकमा
अधिकारी की दलील थी कि अगर युद्धविराम के दौरान किसी भी उकसावे पर सुरक्षा बल अगर कार्रवाई करते हैं तो इससे सरकार को बैकफुट पर आना पड़ेगा और सरकार को ऐसी किसी भी स्थिति से बचने की खुफिया एजेंसियां सलाह देंगी. मुख्यमंत्री के एकतरफा युद्घविराम के प्रस्ताव पर जल्द ही आतंकियों के खिलाफ ऑपेरशन में लगी सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख और एनएसए अजीत डोभाल और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक होगी सुरक्षा महकमा युद्धविराम की मांग को खारिज करने की सलाह देगा, लेकिन सूत्रों के मुताबिक़ एकतरफा युद्धविराम के इस प्रस्ताव पर आखिरी फैसला लेने के लिए पीएम मोदी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में विचार करेंगे.
दूसरी तरफ इस मांग पर ज़ल्द फैसले के लिए दवाब बनाने को लेकर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में ज़ल्द ही राज्य का सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल पीएम मोदी से मुलाक़ात करने के लिए पीएमओ से वक़्त की मांग की है. सुरक्षा महकमों के विरोध से एक बात साफ है कि इस चुनावी साल में हालात को देखते हुए मोदी सरकार के लिए युद्धविराम पर कोई भी फैसला लेना आसान नहीं होगा.
राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को नहीं मिला कोई प्रस्ताव- गृह मंत्रालय
एक बड़े खुफिया अफसर ने कहा, ‘’एकतरफा युद्धविराम मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की खोई ज़मीन के लिए पाने के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन ऐसा कोई भी सुरक्षा नीति के लिहाज से ग़लत होगा. क्या महबूबा मुफ्ती के राजनीति के लिए ऑपेरशन ऑल आउट की सफलता को यूं ही बर्बाद होने की इजाज़त दी जा सकती है." हालांकि गृह मंत्रालय के मुताबिक ऐसा कोई प्रस्ताव फिलहाल राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को नहीं मिला है. ऐसे किसी प्रस्ताव पर फैसला लेने से पहले सरकार उसके सभी पहलुओं का अध्ययन करेगी.
19 मई को कश्मीर दौरे पर पीएम मोदी
सूत्रों के मुताबिक़, प्रस्ताव मिलने के बाद रिपोर्ट पीएमओ को भेजी जाएगी. इस मसले पर जल्द ही सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हो सकती है. वहीं गृहसचिव राजीव गौबा ने भी ऐसे किसी प्रस्ताव की जानकारी से इनकार किया है. दूसरी तरफ सुरक्षा महकमें के बड़े अफसर ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 19 मई को होने वाले कश्मीर दौरे तक युद्धविराम की मांग पर सरकार किसी भी तरह के फैसले का एलान नहीं करेगी.
प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए कश्मीर जा रहे हैं पीएम मोदी
दरअसल पीएम मोदी किशन गंगा पावर प्रोजेक्ट के उद्घाटन करने के अलावा दूसरे प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए 19 मई को जम्मू कश्मीर के तीनों क्षेत्रों का दौरा करेंगें. ऑपेरशन ऑल आउट से आतंकी ज़बरदस्त दवाब में हैं और उनके बड़े A++ रेटिंग के आठ कमांडर के मारे जाने से के बाद A++ के सिर्फ छह बड़े आतंकी कमांडर बचे हैं, जिनके खात्मे के लिए सुरक्षा बल उनके पीछे लगें हैं और ज़ल्द ही खुफिया इनपुट पर निर्णायक कार्रवाई होगी. युद्धविराम की घोषणा होने से आतंकी गुटों को संगठित होने का मौका मिलेगा और इसका फायदा उठा आतंकी नई ताक़त से सुरक्षा बलों और सरकारी ठीकानों पर हमले कर सकते हैं.
जम्मू-कश्मीर में तैनात होंगे ब्लैक कैट कमांडो
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक़, पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई ने जैश के आतंकियों को इस दौरान बड़े फ़िदायीन हमले को अंजाम देने महत्वपूर्ण ठीकानों पर सरकारी कर्मचारियों और पर्यटकों को बंधक बनाने को कहा है. जैश और दूसरे गुटों के इस खतरे से निपटने और सुरक्षा बलों के ऑपेरशन में मदद के लिए 18 साल में पहली बार एनएसजी यानि ब्लैक कैट कमांडो तैनात करने का फैसला किया है.
सुरक्षा बलों के खिलाफ अलगावादियों और पत्थरबाज़ों की साजिश
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, अलगावादियों और पत्थरबाज़ों की साजिश है कि वो सुरक्षा बलों के मूवमेंट के दौरान उनपर पत्थरबाज़ी कर उकसाने का काम करंगे, जिससे जवाबी कार्रवाई करें सुरक्षा बल लेकिन युद्धविराम से सुरक्षा बलों के हाथ बंध जाएंगे और उनके मनोबल पर असर पड़ेगा. गृहमंत्रालय के अधिकारी ने उल्टा सवाल किया कि सुरक्षा बल अगर युद्धविराम के दौरान ऑपेरशन को सस्पेंड कर भी देते हैं तो क्या मुख्यमंत्री इस बात की गारन्टी देंगी कि इस दौरान आतंकी हमले नहीं करेंगे. अलगावादी और पत्थरबाज भी युद्घविराम का पालन करेंगे? अगर नहीं तो युद्घविराम जैसा कोई भी ऐलान सुरक्षा बलों की कार्रवाई को कमज़ोर करेगा.
युद्धविराम की मांग को खारिज करने की सलाह देगा सुरक्षा महकमा
अधिकारी की दलील थी कि अगर युद्धविराम के दौरान किसी भी उकसावे पर सुरक्षा बल अगर कार्रवाई करते हैं तो इससे सरकार को बैकफुट पर आना पड़ेगा और सरकार को ऐसी किसी भी स्थिति से बचने की खुफिया एजेंसियां सलाह देंगी. मुख्यमंत्री के एकतरफा युद्घविराम के प्रस्ताव पर जल्द ही आतंकियों के खिलाफ ऑपेरशन में लगी सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख और एनएसए अजीत डोभाल और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक होगी सुरक्षा महकमा युद्धविराम की मांग को खारिज करने की सलाह देगा, लेकिन सूत्रों के मुताबिक़ एकतरफा युद्धविराम के इस प्रस्ताव पर आखिरी फैसला लेने के लिए पीएम मोदी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में विचार करेंगे.
दूसरी तरफ इस मांग पर ज़ल्द फैसले के लिए दवाब बनाने को लेकर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में ज़ल्द ही राज्य का सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल पीएम मोदी से मुलाक़ात करने के लिए पीएमओ से वक़्त की मांग की है. सुरक्षा महकमों के विरोध से एक बात साफ है कि इस चुनावी साल में हालात को देखते हुए मोदी सरकार के लिए युद्धविराम पर कोई भी फैसला लेना आसान नहीं होगा.
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