लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़कियां शादी से पहले ही करवा रहीं हैं ये सर्जरी

                                                         
पिछले दो वर्ष से 23 वर्षीय अंकिता (काल्पनिक नाम) दिल्ली के पूर्वी इलाके में रहती हैं गुरुग्राम स्थित एक नामचीन बीपीओ कंपनी में कार्यरत हैं उनके साथ एक बचपन का दोस्त भी नौकरी करता है। चूंकि इन दोनों के बीच 8 वर्षों से प्रेम संबंध था। इसलिए दिल्ली आने के बाद दोनों ने लिव इन में रहने का फैसला लिया।
पारिवारिक कारणों के चलते गौरी की शादी अब किसी ओर से होने जा रही है। इसलिए वो हाइमन (योनि की झिल्ली) सर्जरी कराने के लिए दिल्ली गेट स्थित लोकनायक अस्पताल पहुंची। यहां प्लास्टिक सर्जरी विभाग की ओपीडी में उन्होंने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद आधे घंटे का ऑपरेशन कराया। डॉक्टरों की मानें तो पिछले तीन वर्षों में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में शादी से पहले इस तरह के ऑपरेशन कराने वालों की संख्या दोगुनी रफ्तार से बढ़ी हैं। सफदरजंग और लोकनायक अस्पताल में हर महीने एक से दो केस प्लास्टिक सर्जरी विभाग की ओपीडी में पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अब लड़कियां बगैर किसी झिझक अस्पताल पहुंचती हैं।
एलएनजेपी के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. पीएस भंडारी का कहना है कि हाइमन से जुड़े कई तरह के मिथक भी हैं। आमतौर पर कहा जाता है कि झिल्ली पहली बार सहवास करने से फट जाती है और उससे रक्तस्राव होता है। जबकि सच यह है कि ये साइकलिंग, घुड़सवारी या कबड्डी जैसे गेम्स से भी हो सकता है। लेकिन अस्पताल आने वाली लड़कियां अक्सर उनसे कहती हैं कि दूसरों की सोच बदलने से अच्छा है खुद को बदल लो। डॉ. भंडारी का कहना है कि दिल्ली सहित मेट्रो शहरों में लिव इन रिलेशनशिप बहुत तेजी से बढ़ा है, जिसके दुष्प्रभाव इस तरह से सामने आ रहे हैं। आमतौर पर प्राइवेट अस्पतालों में इस सर्जरी के लिए 50 से 70 हजार रुपये का खर्चा आता है। लेकिन यहां सब कुछ सरकार की ओर से निशुल्क है।
सफदरजंग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आर. पी. नारायण बताते हैं कि लड़कियों के अलावा उनके ब्वायफ्रेंड भी साथ आकर पहले अपॉइनमेंट ले जाते हैं। अन्य ऑपरेशन की भांति हाइमन सर्जरी के भी दुष्प्रभाव शरीर पर पड़ते हैं। खासतौर पर किसी भी तरह के संक्रमण का डर। इसलिए ऑपरेशन से पहले पूरा ज्ञान जरूरी है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले एक से डेढ़ साल में जितनी भी लड़कियां हाइमन सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंची हैं, उनकी आयु करीब 20 से 28 वर्ष के बीच होने का अनुमान है। अगर शैक्षणिक वर्ग में देखें तो इनमें से 80 फीसदी पीजी डिग्रीधारक नौकरी करने वाली लड़कियां हैं। हालांकि दिल्ली और बाहरी राज्यों का अनुपात डॉक्टरों ने लगभग बराबर ही बताया है।

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