सूचना का अधिकार अधिनियम बना प्रशासनिक अधिकारियों के हॉथो की कठपुतली /
इस महत्वपूर्ण अधिनियम का जिलाधिकारी कराये पालन तो भ्रष्टाचारी हो जाएंगे बेनकाब /
मिश्रित -सीतापुर /तत्कालीन प्रधान मंत्री स्व. राजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप से तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया धन काम के रूप में मात्र 15 प्रतिशत ही उपयोग में आता है और पच्चासी प्रतिशत धन कहां चला जाता है उसका अनुमान तो उन्हे था परन्तु राजनैतिक व्यवस्था के चलते वह अपने को असहांय महसूस कर रहे थे लेकिन उनके विचार जीवित रहे और इन विचारों को मूर्ति रुप देने की पहल महाराष्ट्र के प्रमुख समाजसेवी अन्ना हजारे ने की और ब्याप्त भ्रष्टाचार को सार्वजनिक करने हेतु सूचना का अधिकार अधिनियम लागू कराये जाने को लेकर कई जन आंदोलन भी किये आखिर उनकी मेहनत रंग लायी महाराष्ट्र सरकार ने इस अधिनियम को सबसे पहले अपने यहां लागू किया इस सफलता से अभिभूत होकर अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम पूरे देश में लागू कराने का संकल्प लिया और बड़े पैमाने पर जन आंदोलन कर सरकारों के सामने दबाव बनाया सभी सरकारों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और बिवस होकर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू करना पड़ा इस महत्वपूर्ण अधिनियम से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर भी हुआ परन्तु हालात ऐसे बने कि व्याप्त भ्रष्टाचार के दलदल में राजनैतिक नेता व प्रमुख अधिकारी फंसते नजर आए तो नौकरशाहों ने इसके प्रभाव को कम करने की साजिश रचना शुरू कर दिया अब हालात यह हो गये हैं
इस अधिनियम में दी गई ब्यवस्था के अनुसार 30 से 35 दिनों में वांछित सूचनाऐं देना ही बंद कर दिया है प्रथम अपील, व्दतीय अपील पर जाने के बाद भी जो सूचना दी जाती है वह तोड़ मरोड़ कर मूल बिंदुओं से परे होती हैं सरकार भले ही इस अधिनियम को लेकर काफी गम्मभीर हो और इसे प्रभावी बनाने का प्रयास कर रही हो परन्तु जिला स्तर से लेकर तहसील,ब्लाक आदि सभी सरकारी बिभागों में इस महत्वपूर्ण अधिनियम की खुलेआम धज्जियॉ उड़ाई जा रही है
उदाहरण के तौर पर ब्लाक मिश्रित मे तैनात जन सूचना अधिकारी खण्डबिकास अधिकारी से आवेदन के साथ क्रास पोस्टल आर्डर संलग्न कर ब्लाक की ग्राम पंचायतो से सम्बंधित मात्र चार बिन्दुओं पर सूचना मॉगी थी परन्तु आज तक आवेदक को कोई भी सूचना प्रदान नहीं की गई है आवेदक ने दिनांक 20 दिसंबर को प्रथम अपील अपर जिलामजिस्ट्रेट को देकर सूचनांऐं दिलाने का अनुरोध भी किया था फिर भी तीन मॉह का समय का समय बीत जाने के बाद भी विकासखण्ड के भ्रष्ट अधिकारियों ने आज तक कोई सूचना प्रदान नहीं की है इस तरह से समय बध्द सूचनाऐं उपलब्ध न कराने से जहॉ प्रदेश सरकार की छबि धूमिल हो रही है वहीं क्षेत्र में जमकर किरिकिरी भी रही है अगर जिला अधिकारी इस महत्वपूर्ण अधिनियम का पालन ब्लाक के अधिकारियों को प्रभावी ढंग से करा दें तो निश्चित रूप से जहॉ भारी भ्रष्टाचार उजागर होगा वहीं आम जनता मे इस महत्वपूर्ण अधिनियम की सार्थकता भी बनी रहेगी
मिश्रित -सीतापुर /तत्कालीन प्रधान मंत्री स्व. राजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप से तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया धन काम के रूप में मात्र 15 प्रतिशत ही उपयोग में आता है और पच्चासी प्रतिशत धन कहां चला जाता है उसका अनुमान तो उन्हे था परन्तु राजनैतिक व्यवस्था के चलते वह अपने को असहांय महसूस कर रहे थे लेकिन उनके विचार जीवित रहे और इन विचारों को मूर्ति रुप देने की पहल महाराष्ट्र के प्रमुख समाजसेवी अन्ना हजारे ने की और ब्याप्त भ्रष्टाचार को सार्वजनिक करने हेतु सूचना का अधिकार अधिनियम लागू कराये जाने को लेकर कई जन आंदोलन भी किये आखिर उनकी मेहनत रंग लायी महाराष्ट्र सरकार ने इस अधिनियम को सबसे पहले अपने यहां लागू किया इस सफलता से अभिभूत होकर अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम पूरे देश में लागू कराने का संकल्प लिया और बड़े पैमाने पर जन आंदोलन कर सरकारों के सामने दबाव बनाया सभी सरकारों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और बिवस होकर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू करना पड़ा इस महत्वपूर्ण अधिनियम से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर भी हुआ परन्तु हालात ऐसे बने कि व्याप्त भ्रष्टाचार के दलदल में राजनैतिक नेता व प्रमुख अधिकारी फंसते नजर आए तो नौकरशाहों ने इसके प्रभाव को कम करने की साजिश रचना शुरू कर दिया अब हालात यह हो गये हैं
इस अधिनियम में दी गई ब्यवस्था के अनुसार 30 से 35 दिनों में वांछित सूचनाऐं देना ही बंद कर दिया है प्रथम अपील, व्दतीय अपील पर जाने के बाद भी जो सूचना दी जाती है वह तोड़ मरोड़ कर मूल बिंदुओं से परे होती हैं सरकार भले ही इस अधिनियम को लेकर काफी गम्मभीर हो और इसे प्रभावी बनाने का प्रयास कर रही हो परन्तु जिला स्तर से लेकर तहसील,ब्लाक आदि सभी सरकारी बिभागों में इस महत्वपूर्ण अधिनियम की खुलेआम धज्जियॉ उड़ाई जा रही है
उदाहरण के तौर पर ब्लाक मिश्रित मे तैनात जन सूचना अधिकारी खण्डबिकास अधिकारी से आवेदन के साथ क्रास पोस्टल आर्डर संलग्न कर ब्लाक की ग्राम पंचायतो से सम्बंधित मात्र चार बिन्दुओं पर सूचना मॉगी थी परन्तु आज तक आवेदक को कोई भी सूचना प्रदान नहीं की गई है आवेदक ने दिनांक 20 दिसंबर को प्रथम अपील अपर जिलामजिस्ट्रेट को देकर सूचनांऐं दिलाने का अनुरोध भी किया था फिर भी तीन मॉह का समय का समय बीत जाने के बाद भी विकासखण्ड के भ्रष्ट अधिकारियों ने आज तक कोई सूचना प्रदान नहीं की है इस तरह से समय बध्द सूचनाऐं उपलब्ध न कराने से जहॉ प्रदेश सरकार की छबि धूमिल हो रही है वहीं क्षेत्र में जमकर किरिकिरी भी रही है अगर जिला अधिकारी इस महत्वपूर्ण अधिनियम का पालन ब्लाक के अधिकारियों को प्रभावी ढंग से करा दें तो निश्चित रूप से जहॉ भारी भ्रष्टाचार उजागर होगा वहीं आम जनता मे इस महत्वपूर्ण अधिनियम की सार्थकता भी बनी रहेगी
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