नीरव मोदी मामले में बैंकों को लग सकता है करीब 18 हजार करोड़ रुपये का झटका

तब से लेकर अब तक काफी हद तक बढ़ चुके इस लोन और गारंटी के चलते भारतीय बैकों को इसके चलते लगने वाला झटका 3 बिलियन डॉलर का हो सकता है. देश के सबसे सबसे बड़े बैंक घोटाले की जांच के दौरान अपनी तैयार किए गए अपने शुरुआती नोट में टैक्स विभाग ने यह लिखा है.
पीएनबी द्वारा दर्ज की गई शिकायत के मुताबिक, इस पूरे घोटाले में मुंबई की शाखा के दो जूनियर स्तर के अधिकारी शामिल हैं जिन्होंने लेटर ऑफर अंडरस्टैंडिग जारी किए गए. ये लेटर ऑफर अंडरस्टैंडिग मोदी और चौकसी की फर्मों को लेकर जारी किए गए थे. बैंक ने कहा है कि इस तरह के धोखाधड़ी के ट्रांजैक्शन सालों साल होते रहे और बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपये के हो गए.
अब इस टैक्स नोट में कहा गया है कि किसी भी लेटर ऑफर अंडरस्टैंडिग (खासतौर से क्रेडिट गारंटीज) का कोई ब्यौरा बैंक के इंटरनल सॉफ्टवेयर सिस्टम पर नहीं मिलता है. ये SWIFT इंटरबैंक मेसेजिंग सिस्टम के तहत अंजाम दिए गए. इसमें कहा गया है कि चौकसी की गीतांजलि जेम्स और इसकी सब्सियडरीज जिनके मालिक भी चौकसी ही थे, 32 बैंकों से डील कर रही थी. चौकसी और मोदी के बैंकों को क्रेडिट देने वाले बैंकों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, अलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक भी हैं. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का भी 30 करोड़ डॉलर यानी करीब 1,915 करोड़ रुपये फंसा हुआ है.
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