डंका बजते ही शुरू हो गयी विश्वविख्यात चैरासी कोशीय परिक्रमा
-नैमिषारण्य से पहले पड़ाव कोरौना के लिए रवाना हुआ रामादल, देर शाम पहुंचे परिक्रमार्थी
सीतापुर। भू लोक का सर्वश्रेष्ठ तीर्थ स्वायंभु मनु सतरूपा सहित अठ्ठासी हजार ऋषि मुनियों की तपस्थली, निराकार परब्रह्म परमेश्वर का साकार रुप मे प्राकट्य स्थली महर्षि दधीचि की अस्थिदान, ब्रह्मा, विष्णु, महेश की नित विचरण स्थली एवं 33 करोड़ देवताओ की निवास स्थली, अष्टम बैकुण्ठ, अष्टम आरण्य, वेद पुराणों की रचना एवं सूत जी की पुराण परायण स्थली, माँ ललिता की सिद्धि पीठ, नाभिगया के रूप में विश्वविख्यात एवं 33 करोड़ देवताओ की निवास स्थली नैमिषारण्य तीर्थ से प्रारम्भ हुयी।
विश्वविख्यात 84 कोसीय परिक्रमा आज सुबह गोमती, चक्र आदि तीर्थो मे स्नान कर चक्र तीर्थ के निकट स्थापित गणेश जी के मन्दिर मे लडडू चढाकर प्राचीन मन्दिर पंचमुखी महादेव, बदरीनाथ, राधाकृष्ण, भूतेश्वर, हनुमान, ओमकारनाथ आदि के दर्शन करते हुए ललिता देवी, पंच प्रयाग, जानकी कुण्ड, कर्कराज, कटह रामकुण्ड होते हुए अपने पहले पडाव कोरौना पहुंची। इस दौरान परिक्रमा में शामिल लाखों श्रद्धालु शंखनाद संकीर्तन नैमिष तीर्थ की जय हो, रामादल बाबा की जय हो, महर्षि दधीचि की जय हो इसके अलावा परिक्रमार्थी अपने-अपने संत महंत की जय हो के आकाश गूंजित नारे अनायास ही कुपथगामी मनुष्यों को सतमार्ग की प्रेरणा दे रहे थे।
विश्व विख्यात 84 कोसीय परिक्रमा में उप्र के विभिन्न अंाचलो सहित विदेशी श्रद्धालु शामिल हुए है। जो कि हाथी, घोडे, पालकी, लग्जरी गाडियों के साथ-साथ बैलगाडी, तांगा, ठेलिया, ट्रैक्टर, पैदल व दंडवत कर परिक्रमा के आनंद से मंत्रमुग्ध थे। इसके साथ-साथ हजारों की संख्या में परिक्रमार्थी साइकिल, पैदल 84 योनियों में आवागमन की मुक्ति की अभिलाषा लिए भक्ति भाव मंे आस्था और श्रद्धा के साथ पैदल चल रहे थे। बच्चे, बूढे, जवान, महिला, पुरूष विशालकाय शरीर वाले लोग तथा अनेक विकलांग वह लोग जिनके लिए दस कदम की दूरी तय करना भी मुश्किल होगी वह लोग भी आस्था, श्रद्धा और आत्मविश्वास के साथ सीताराम सीताराम, राधेश्याम राधेश्याम आदि का जाप करते हुए परिक्रमा करने में तल्लीन थे।
आज परिक्रमा का पहला पडाव कोरोना पहुंचा। जहाॅ विभिन्न सम्प्रदायो के सन्त महन्तो ने अपने अपने पन्डाल लगाकर विभिन्न धर्मिक कथाओ से भारी संख्या मे आये क्षेत्रीय धर्मावलम्वियो एवं परिक्रमार्थियो को मंत्र मुग्ध कर दिया। पडाव स्थल की छटा देखते ही बन रही थी। ज्ञात हो कि कोरौना को कोरावन भी कहते है और इसे द्वारिका क्षेत्र भी कहा जाता है।
यहां पर द्वारिकाधीश भगवान का एक विशाल मंन्दिर स्थापित है। इस द्वारिका क्षेत्र का माहात्म्य है कि भगवान द्वारिकाधीश का यहां सायुज्य प्राप्त होता है। यहां प्रतिपदा को परिक्रमा रात्रि को विश्राम करके द्वितीय को प्रातः काल हरैया को गमन करती है।
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