फूलपुर उपचुनाव: अमरनाथ यादव हो सकते है BJP का चेहरा, अखिलेश के वोटबैंक में सेंध लगना तय
आगामी 11 मार्च को फूलपुर सीट पर उपचुनाव होने हैं. इसके अलावा गोरखपुर सीट पर भी उपचुनाव होना है. इस उपचुनाव को 2019 के लोकसभा के चुनाव से पहले सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है. सभी पार्टियों ने इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. इन सीटों पर आये उपचुनाव के परिणाम से 2019 की तस्वीर काफी हद तक साफ हो जायेगी. ऐसे में भाजपा से लेकर सपा और कांग्रेस इस उपचुनाव में अपनी पूरा दमखम लगा रही है. भाजपा अभी तक अपने प्रत्याशी पर मंथन कर रही है मगर पार्टी में एक चेहरा ऐसा है जिसे यदि भाजपा ने प्रत्याशी बनाया तो इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की हार तय मानी जा रही है.प्रत्याशी के नाम पर मंथन
उत्तर प्रदेश की दोनों सीटों पर होने वाला उपचुनाव भाजपा के लिए साख का सवाल बन गया है. इन दोनों सीटों पर उसी की सांसद योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या थे, जिनके इस्तीफे के बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ था. ऐसे में इन दोनों सीटों को जीतने का भाजपा पर काफी दबाव है. फूलपुर सीट पर मोदी लहर में बीजेपी पहली बार जीती थी. ऐसे में उपचुनाव में उतरने वाला पार्टी प्रत्याशी भी कोई ऐसा हो जो 2014 की जीत को वापस दोहरा सके. इस बीच एक शख्स का नाम फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी के लिए काफी तेजी से सामने आ रहा है. इस नाम के सामने आने के बाद से कहा जा रहा है कि इसके चुनाव मैदान में उतरने से समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.फूलपुर से अमरनाथ यादव हो सकते है बीजेपी का चेहरा
केशव प्रसाद मौर्या के करीबी सूत्रों के मुताबिक, फूलपुर के पूर्व सांसद और वर्तमान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने जिले के 3 बार चेयरमैन रह चुके अमरनाथ यादव के नाम पर अपनी मोहर लगा दी है. अब बस इसका औपचारिक ऐलान होना ही बाकी है. फूलपुर सीट पिछड़ा बाहुल्य होने के कारण ये तो साफ है कि भाजपा किसी पिछड़े उम्मीदवार पर ही दांव लगा सकती है. इस बीच कई नामों की चर्चाएं हुईं, मगर खबर है कि अमरनाथ यादव के नाम पर मोहर लग चुकी है. देश की आजादी के बाद पहली बार ये सीट बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्या ने जीती थी ऐसे में बीजेपी नेतृत्व भी उनकी बात नहीं काटना चाहेगा. यदि अमरनाथ यादव भाजपा प्रत्याशी बने तो फूलपुर के यादव वोटबैंक में सेंध लगना तय है जो सपा के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होगा.
क्यों खास है फूलपुर?
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू फूलपूर से 1952 से 1962 तक सांसद रहे. उनके बाद विजय लक्ष्मी पंडित ने फूलपुर से राजनिति की और लम्बे समय तक सांसद रहीं. यहीं से पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी संसद पहुंचे. कमला बहुगुणा ने जीत हासिल की. देश और प्रदेश की राजनीति में शुरू से ही हॉट सीट रही फूलपुर से बड़े दिग्गजों ने किस्मत अजमायी है. फूलपुर पिछड़ी जातियों के वोट बैंक वाली सीट है. जिस पर इस समय सभी राजनीतिक दलों की नजर बनी है. देश के चुनावी इतिहास मे पहली बार भाजपा के केशव प्रसाद मोर्या ने फूलपुर से जीत हासिल की है और प्रदेश अध्यक्ष बने. इस सीट पर ओबीसी मतदाताओं का ऐसा वर्चस्व रहा है की इस सीट से बसपा संस्थापक कांशीराम सपा नेता जंग बहादुर पटेल से चुनाव हार गये थे.
उत्तर प्रदेश की दोनों सीटों पर होने वाला उपचुनाव भाजपा के लिए साख का सवाल बन गया है. इन दोनों सीटों पर उसी की सांसद योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या थे, जिनके इस्तीफे के बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ था. ऐसे में इन दोनों सीटों को जीतने का भाजपा पर काफी दबाव है. फूलपुर सीट पर मोदी लहर में बीजेपी पहली बार जीती थी. ऐसे में उपचुनाव में उतरने वाला पार्टी प्रत्याशी भी कोई ऐसा हो जो 2014 की जीत को वापस दोहरा सके. इस बीच एक शख्स का नाम फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी के लिए काफी तेजी से सामने आ रहा है. इस नाम के सामने आने के बाद से कहा जा रहा है कि इसके चुनाव मैदान में उतरने से समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.फूलपुर से अमरनाथ यादव हो सकते है बीजेपी का चेहरा
केशव प्रसाद मौर्या के करीबी सूत्रों के मुताबिक, फूलपुर के पूर्व सांसद और वर्तमान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने जिले के 3 बार चेयरमैन रह चुके अमरनाथ यादव के नाम पर अपनी मोहर लगा दी है. अब बस इसका औपचारिक ऐलान होना ही बाकी है. फूलपुर सीट पिछड़ा बाहुल्य होने के कारण ये तो साफ है कि भाजपा किसी पिछड़े उम्मीदवार पर ही दांव लगा सकती है. इस बीच कई नामों की चर्चाएं हुईं, मगर खबर है कि अमरनाथ यादव के नाम पर मोहर लग चुकी है. देश की आजादी के बाद पहली बार ये सीट बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्या ने जीती थी ऐसे में बीजेपी नेतृत्व भी उनकी बात नहीं काटना चाहेगा. यदि अमरनाथ यादव भाजपा प्रत्याशी बने तो फूलपुर के यादव वोटबैंक में सेंध लगना तय है जो सपा के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होगा.
क्यों खास है फूलपुर?
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू फूलपूर से 1952 से 1962 तक सांसद रहे. उनके बाद विजय लक्ष्मी पंडित ने फूलपुर से राजनिति की और लम्बे समय तक सांसद रहीं. यहीं से पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी संसद पहुंचे. कमला बहुगुणा ने जीत हासिल की. देश और प्रदेश की राजनीति में शुरू से ही हॉट सीट रही फूलपुर से बड़े दिग्गजों ने किस्मत अजमायी है. फूलपुर पिछड़ी जातियों के वोट बैंक वाली सीट है. जिस पर इस समय सभी राजनीतिक दलों की नजर बनी है. देश के चुनावी इतिहास मे पहली बार भाजपा के केशव प्रसाद मोर्या ने फूलपुर से जीत हासिल की है और प्रदेश अध्यक्ष बने. इस सीट पर ओबीसी मतदाताओं का ऐसा वर्चस्व रहा है की इस सीट से बसपा संस्थापक कांशीराम सपा नेता जंग बहादुर पटेल से चुनाव हार गये थे.
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