जन्‍म के बाद मीना कुमारी को यतीमखाने छोड़ आए थे पिता, शोहरत भी नहीं दिला सकी खुशी

life history of tragedy queen meena kumari

नाम, इज्जत, शोहरत, काबिलीयत, रुपया, पैसा सभी कुछ मिला पर सच्चा प्यार नहीं। ये वाक्य मीना कुमारी पर बिलकुल फिट बैठता हैं। जहां एक तरफ बला की खूबसूरत मीना की खूबसूरती पर सारा जमाना फिदा था वहीं मीना का दिल किसी और के लिए धड़कता था। कहते हैं जो गम की तस्वीर मीना कुमारी बना सकती थी वह कोई और नहीं बना सकता था। लेकिन वो गम कहां से आया ये सिर्फ मीना कुमारी ही बता सकती थीं। मीना कुमारी के अलावा एक शख्स और भी हैं जिन्हें उनके गम की जानकारी थी उनकी फिक्र थी और वो शख्स हैं मधुप शर्मा... मधुप शर्मा ने अपनी किताब 'आखिरी अढ़ाई दिन' में मीना कुमारी की अंदरूनी शख्सियत की वे शबीहें पेश की है जिसे पढ़ने के बाद एक बार वक्त ठहर जाता है... और कहता है काश ऐसा न होता। 

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